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अब फाइलों में दफन होगी नोएडा प्राधिकरण की हेलीपोर्ट परियोजना, सामने आई ये वजहें

अब फाइलों में दफन होगी नोएडा प्राधिकरण की हेलीपोर्ट परियोजना, सामने आई ये वजहें

नोएडा | सामान्य | 5/3/2024, 1:56 AM | Ground Zero Official

नोएडा से अपने गंतव्य स्थलों के लिए हेलीकॉप्टर से सफर करने वालों के लिए बुरी खबर है। उनके इन अरमानों को करारा झटका लगा है। दरअसल नोएडा के सेक्टर-151ए में शुरू होने वाली नोएडा प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी हेलीपोर्ट योजना को फिलहाल ग्रहण लग गया है। यही कारण है कि दो बार ग्लोबल टेंडर जारी करने के बाद भी महज एक ही कंपनी आवेदन को आई। इसलिए नोएडा में शुरू हो रही इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने का निर्णय लिया गया है। दो बार परियोजना का टेंडर निकालने पर भी सिर्फ एक ही कंपनी ने आवेदन किया है। इसलिए इस परियोजना को रोक दिया गया है। नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) संजय खत्री ने बताया कि अभी योजना की इकोनामिक वायबिलिटी को देखा जा रहा है। कंपनियों से सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद ही कुछ तय किया जाएगा।

निर्माण में आया करोड़ों का खर्चा

हेलीपोर्ट योजना के निर्माण में 43.13 करोड़ रुपए खर्च कर किए जाने है। इसका डिजाइन बेल 412 (12 सीटर) के अनुसार तैयार किया गया है। हेलीपोर्ट में 5 बेल 412 के पार्किंग एप्रान की सुविधा होगी। इस हेलीपोर्ट में वीवीआईपी या आपात काल के समय 26 सिटर एमआई 172 भी उतारा जा सकेगा। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि योजना के लिए दो बार ग्लोबल टेंडर जारी किए गए। लेकिन दोनों ही बार एक ही कंपनी आई। एक बार भी फाइनेंसिएशल बिड नहीं खोली जा सकी। इसकी बड़ी वजह ये थी कि फाइनेंशियल बिड खोलने को लेकर नोएडा प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ ने रूचि नहीं दिखाई। लंबे समय तक फाइल को अपने पास रोके रखा। खामियाजा यह हुआ कि फाइनेंशियल बिड खोलने के लिए 180 दिन की निर्धारित समय सीमा पार हो गई, 210 दिन बाद इसकी बिड खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जो परियोजना का टेंडर रद करने का भी कारण बना।

कंपनियों को परियोजना में नहीं लगा लाभ

हेलीपोर्ट निर्माण व संचालन कंपनियों को आर्थिक रूप से यह परियोजना लाभप्रद नहीं लगी है। इसमें टेंडर नियम शर्त को उनके सुझाव के आधार पर तैयार नहीं किया गया। जबकि कई बार नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर हेलीकॉप्टर संचालन करने वाली कंपनियों को बुलाया कर सुझाव लिया गया था, लेकिन उनके सुझाव पर ठीक से अधिकारियों ने अमल नहीं किया। यही कारण रहा की कंपनियों ने टेंडर में रुचि नहीं दिखाई। दो बार ग्लोबल टेंडर जारी होने के बाद भी सिर्फ एक ही कंपनी आई। इसलिए फिलहाल इस योजना पर ग्रहण लग गया है।

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